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*रांची में धूमधाम से मना सद्गुरु धर्मचंद्र देव जी महाराज का 56वां महा निर्वाण दिवस

*रांची में धूमधाम से मना सद्गुरु धर्मचंद्र देव जी महाराज का 56वां महा निर्वाण दिवस

PRASHANT UNNIKRISHNAN
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July 10, 2025 889 views 0 likes

*रांची* । गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर रांची स्थित मैंन रोड में विहंगम योग संस्थान द्वारा एक भव्य और दिव्य सत्संग समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सद्गुरु धर्म चंद्र देव जी महाराज के 56वें महा निर्वाण दिवस को अत्यंत श्रद्धा और उत्साह से मनाया गया। गुरु पूर्णिमा और निर्वाण दिवस की एक साथ उपस्थिति ने इस दिन को और भी अधिक दिव्य, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक बना दिया।

कार्यक्रम की शुरुआत स्वागत गान से हुई, जिसमें विहंगम योगियों ने सद्गुरु का आह्वान कर मंगल गान के माध्यम से समस्त मानवता के मंगल और विश्व शांति की प्रार्थना की। यह दृश्य अत्यंत भावुक और भक्तिमय रहा। वातावरण में भक्ति की बयार और दिव्यता की सुगंध चारों ओर फैली रही।



 

*गुरु परंपरा की दिव्यता और उत्तराधिकार का ऐतिहासिक क्षण*



 

विहंगम योग झारखंड प्रदेश के प्रमुख परामर्शक विष्णु कांत खेमका ने सद्गुरु धर्म चंद्र देव जी महाराज की आध्यात्मिक यात्रा और उनके योगदानों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए बताया कि अपने नश्वर शरीर को त्यागने से 15 वर्ष पूर्व, सद्गुरु सदाफलदेव जी महाराज ने पवित्र गंगा तट पर हजारों शिष्यों की उपस्थिति में धर्मचंद्र देव जी को अपना आध्यात्मिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। यह क्षण केवल एक उत्तराधिकार की घोषणा नहीं, बल्कि भारतीय अध्यात्मिक परंपरा में एक दिव्य अध्याय की शुरुआत थी।


 

उन्होंने आगे बताया कि धर्म चंद्र देव जी महाराज वेद, उपनिषद और शास्त्रों के गहन अध्येता थे। वे विहंगम योग के प्रखर लेखक, प्रभावशाली वक्ता और तपस्वी संत के रूप में विख्यात रहे। उनका जीवन ब्रह्म विद्या की सेवा और प्रसार को समर्पित रहा।


 

*विहंगम योग: आत्म-साक्षात्कार और परमात्मा से मिलन का मार्ग*


 

रांची जिला परामर्शक अनिल शर्मा ने विहंगम योग की महानता और गुरु की महिमा पर प्रकाश डालते हुए कहा, विहंगम योग केवल ध्यान की एक पद्धति नहीं, बल्कि यह जीवन जीने और मृत्यु को समझने की एक दिव्य कला है। गुरु इस मार्ग में साधक के लिए दीप स्तंभ होते हैं, जो उसे अंधकार से निकालकर परमात्मा के आलोक में ले जाते हैं। गुरु की कृपा से ही आत्म-साक्षात्कार और परमात्मा का मिलन संभव होता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह योग केवल ध्यान नहीं, बल्कि मन, बुद्धि और आत्मा की समग्र साधना है, जो मनुष्य को उसकी वास्तविकता का बोध कराती है।



 

*शांति पाठ और प्रसाद वितरण ने बढ़ाई समारोह की गरिमा*



 

सत्संग के अंत में शांति पाठ का आयोजन किया गया, जिसमें सभी ने विश्व कल्याण, शांति और सबकी मनोकामना पूर्ति के लिए सामूहिक प्रार्थना की। इसके उपरांत श्रद्धालुओं के बीच प्रसाद वितरण किया गया। इस भव्य आयोजन में किरण प्रसाद, प्रधान संयोजक राम लखन राणा, संचालन अमीर तांती, राजकुमार, जितेंद्र सिन्हा सहित अनेक गणमान्य व्यक्तित्व और बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।



 

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