Eknath Shinde: नगर निगम चुनावों से पहले महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा को लेकर राजनीति तेज हो गई है. डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे ने विपक्ष पर दोहरी भूमिका निभाने का आरोप लगाया है.
महाराष्ट्र में आगामी नगर निगम चुनावों से पहले हिंदी Vs मराठी भाषा का मुद्दा एक बार फिर गरमा गया है. सत्ता और विपक्षी पार्टियों के तरफ से राजनीतिक बयानबाजी जारी है. वहीं शिवसेना (UBT) के नेता आदित्य ठाकरे के हालिया बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने विपक्ष पर दोहरी राजनीति करने का आरोप लगाया है.
एकनाथ शिंदे ने कहा कि जब ये नेता सत्ता में थे, तब इन्होंने रघुनाथ माशेलकर समिति की सिफारिशों के आधार पर तीन भाषाएं- मराठी, अंग्रेजी और हिंदी को अनिवार्य किया था. अब सत्ता से बाहर होकर वे इसके विपरीत बयानबाजी कर रहे हैं.
अब सरकार में नहीं हैं तो भूमिका बदल गई- एकनाथ शिंदे
शिंदे ने एएनआई को दिए बयान में कहा, "जब वे सरकार में थे तो उन्होंने यह व्यवस्था लागू की थी, अब सरकार में नहीं हैं तो भूमिका बदल गई है. इस प्रकार की दोमुंही राजनीति करने वालों को मंत्री दादा भुसे का इस्तीफा मांगने का कोई अधिकार नहीं है."
उन्होंने आगे कहा कि विपक्षी नेताओं के अपने ही बयान हैं जिसमें वे कहते हैं कि बच्चों को कई भाषाएं सीखनी चाहिए. इसके बावजूद मौजूदा सरकार ने मराठी को अनिवार्य किया है और उसे प्राथमिकता दी है. शिंदे ने स्पष्ट किया कि हिंदी अनिवार्य नहीं की गई है.
'विश्व मराठी सम्मेलन' व ‘मराठी भाषा भवन’ का निर्माण करवाया - एकनाथ शिंदे
डिप्टी सीएम ने यह भी बताया कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर विभिन्न स्कॉलर्स और स्टेकहोल्डर्स से संवाद कर रही है और इस विषय में कोई ईगो नहीं है. उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री समेत हम सभी बैठकर मिलकर निर्णय लेंगे. हमने मराठी को प्राथमिकता दी है और उसका पूरा सम्मान करते हैं.” शिंदे ने यह भी कहा कि सरकार ने कई बार ‘विश्व मराठी सम्मेलन’ आयोजित किए हैं और मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए ‘मराठी भाषा भवन’ का निर्माण भी कराया जा रहा है.